नाड़ी दोष

नाड़ी दोष के बारे में चर्चा करने से पहले मैं इस विषय से संबंधित कुछ जानकारी आपको देना चाहता हूं। विवाह के लिए लड़के और लड़की की कुंडली का मिलान जब किया जाता है तो आपने सुना होगा कि पंडित जी कहते हैं कि विवाह किया जा सकता है क्योंकि 36 में से 30 गुण मिल गए हैं।
यहां पर गुणों से अभिप्राय विशेषताओं से है और 36 गुणों के बारें में जानकारी अष्टकूट पद्धति से प्राप्त होती हैं। इस पद्धति में 8 विषयों का अध्ययन किया जाता है और प्रत्येक विषय हेतु अंक निर्धारित हैं प्रत्येक विषय का अपना अलग महत्व है, जो निम्नलिखित है:-
अष्टकूट | वर्ण | वैश्य | तारा | योनी | मैत्री | गण | भुकूट | नाडी | कुल अंक |
अंक | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 36 |
इस पद्धति में नाड़ी का आठवां क्रमांक है और सबसे अधिक 8 अंक नाड़ी मिलान के लिए निर्धारित हैं। अब हम चर्चा करते हैं कि नाड़ी का क्या महत्व है? विवाहित जीवन में इसकी क्या भूमिका है? हम आपको यह भी बताएंगे कि यदि नाड़ी मिलान होता है तो उसका फल कैसा रहता है? यदि नाड़ी मिलान न हो तो उसका फल कैसा होता है? नाड़ी दोष क्या होता है तो उसका क्या उपाय है।
नाड़ी और इसके प्रकार
नाड़ी के तीन विभाग किए गए है और इनका विभाग व्यक्ति के जन्म के समय के नक्षत्र के आधार पर किया जाता है।
नाड़ी के प्रकार | |||
आदि नाड़ी | मध्य नाड़ी | अन्त्य नाड़ी | |
नक्षत्र | अश्विनी, आद्रा, पुनर्वसु, उत्तरा-फाल्गुनी, हस्त, ज्येष्ठा, मूल, शतभिषा, पूर्वा-भाद्रपद | भरणी, मृगशिरा, पुष्य, पूर्वा-फाल्गुनी, चित्रा, अनुराधा, पूर्वाषाढ़ा, धनिष्ठा, उत्तर-भाद्रपद | कृतिका, रोहिणी, अश्लेषा, मघा, स्वाति, विशाखा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, रेवती |
स्वभाव | वात धातु से संचालित है और स्वभाव सूखा, ठंडा | पित्त धातु से संचालित है और स्वभाव पित्त अनुसार | कफ धातु से संचालित है और स्वभाव तैलीय, विनीत |
नाड़ी का महत्व
नाड़ी गुण मिलान के 36 अंकों में से नाड़ी के लिए सबसे अधिक 8 अंक निर्धारित हैं इससे पता चलता है कि नाड़ी का कितना महत्व है। वैद्य जिस प्रकार वात, पित्त एवं कफ दोषों की जानकारी के लिए हमारी नब्ज देखकर जानकारी प्राप्त करता है, उसी प्रकार लड़के और लड़की के विवाह के लिए भविष्य में उनमे होने वाले भावनात्मक लगाव की जानकारी उपरोक्त आदि, मध्य एवं अंत्य नाम की तीन नाड़ियों के द्वारा मिलती है।
नाड़ी से मुख्यत वैवाहिक जीवन की सफलता और संतान उत्पत्ति के बारे में पता चलता है।
शास्त्रों के अनुसार लड़के और लड़की की समान नाड़ी होने पर विवाह किसी भी स्थिति में नहीं करना चाहिए। यदि वर और वधू की नाड़ी समान हो तो इसे नाड़ी दोष माना जाता है और समान नाड़ी में विवाह वर्जित माना गया है। नाड़ी व्यक्ति के मन और मानसिक ऊर्जा की जानकारी प्रदान करती है।
मेलापक में नाड़ी दोष को एक महादोष माना गया है।
नाड़ी मिलाते समय ध्यान रखें कि यदि लड़का और लड़की दोनो की यदि “आदि नाड़ी” हो तो विवाह नहीं करना चाहिए। इसी प्रकार मध्य नाड़ी के साथ मध्य नाड़ी और अन्त्य नाड़ी के साथ अन्त्य नाड़ी का विवाह वर्जित है।
आदि नाड़ी
उदाहरण के लिए यदि वात् स्वभाव के लड़के की शादी यदि वात् स्वभाव की कन्या से होगी उनमे चंचलता के कारण समर्पण की भावना पैदा नहीं होगी। विवाह के पश्चात् बच्चों मे भी वात की अधिकता की सम्भावना रहेगी। इसी कारण आदि नाड़ी वाले वर का विवाह आदि नाड़ी की कन्या से वर्जित किया गया है
- मध्य नाड़ी:- मध्य नाड़ी पित्त स्वभाव की मानी गई है। इस लिए मध्य नाड़ी के वर का विवाह मध्य नाड़ी की कन्या से हो जाए तो उनमे परस्पर अंह के कारण सम्बंन्ध अच्छे नहीं बन पाते। उनमें झगड़े की सभांवना बलवती होती है। लड़ाई-झगड़े के बाद तलाक की नौबत आना सामान्य है। संतान सुख नहीं होता और गर्भपात ज्यादा होते है।
- अन्त्य नाड़ी:- अन्त्य नाड़ी कफ स्वभाव की है, इसलिए अन्त्य नाड़ी के लड़के की शादी अन्त्य नाड़ी की लड़की से होतो है तो उनमें कामभाव की कमी होने लगती है। वैसे तो उनका स्वभाव शांत होता है परंतु उनमे परस्पर सहयोग और सामंजस्य नहीं होता और गलतफहमियाँ तो होना स्वाभाविक ही है।
मेलापक में वर-वधू की समान नाड़ी का होना, उनके मानसिक और भावनात्मक तालमेल में हानिकारक होने के कारण वर्जित है। एक बार फिर मैं कहना चाहता हूँ कि समान नाड़ी होने पर उनमे आपस में सहयोग कम बल्कि टकराव ही अधिक होगा। इसके विपरीत लड़के-लड़की की भिन्न-भिन्न नाड़ी होना उनके वैवाहिक सम्बन्धों में शुभता का प्रतीक है।
नाड़ी दोष का परिहार
निम्नलिखित परिस्थितियों में नाड़ी दोष अपने आप ही समाप्त हो जाता है:-
- यदि लड़के और लड़की का नक्षत्र एक हो, नाड़ी समान हो परंतु दोनों के ही नक्षत्र का चरण पृथक हो तो नाड़ी दोष नहीं माना जाता।
- यदि लड़के और लड़की की राशि एक हो परंतु दोनों के ही नक्षत्र पृथक हो तो नाड़ी दोष नहीं माना जाता।
- इसी क्रम में यदि लड़के और लड़की का नक्षत्र एक हो परंतु दोनों की राशियाँ पृथक हो तो नाड़ी दोष नहीं माना जाता।
- लड़के और लड़की का जन्म यदि विशाखा, अनुराधा, धनिष्ठा, रेवति, हस्त, स्वाति, आद्रा, पूर्वा-भाद्रपद इत्यादि 8 नक्षत्रों में से किसी नक्षत्र मे तो नाड़ी दोष नहीं रहता है।
- कालिदास के मत के अनुसार उत्तरा-भाद्रपद, रेवती, रोहिणी, विशाखा, आद्रा, श्रवण, पुष्य, मघा इत्यादि नक्षत्रों में से किसी नक्षत्र में जन्म हो तो नाड़ी दोष नही होता।
इन परिहार वचनों के विपरीत कुछ प्रबल नाड़ी दोष निम्नलिखित हैं, जिनके होने पर हमारी सलाह है कि कभी भी विवाह न करें।
1 आदि नाड़ी- यदि लड़के और लड़की दोनों की नाड़ी एक हो और नीचे दिये गए जोड़ी नक्षत्रों में उनका जन्म हुआ हो तो विवाह नहीं करना चाहिए
- आदि नाड़ी में यदि लड़के का जन्म अश्विनी नक्षत्र में हुआ हो तो उसका विवाह ज्येष्ठा नक्षत्र में पैदा हुई लड़की से नहीं करना चाहिए।
- आदि नाड़ी में यदि लड़के का जन्म हस्त नक्षत्र में हुआ हो तो उसका विवाह शतभिषा नक्षत्र में पैदा हुई लड़की से नहीं करना चाहिए।
- आदि नाड़ी में यदि लड़के का जन्म उत्तरा-फाल्गुनी नक्षत्र में हुआ हो तो उसका विवाह पूर्वा-भाद्रपद नक्षत्र में पैदा हुई लड़की से नहीं करना चाहिए। इन्हे प्रबल नाड़ी दोष माना गया है।
2 मध्य नाड़ी – मध्य नाड़ी में यही स्थिति निम्नलिखित नक्षत्रों के मेल से बनती है। इनमे विवाह नहीं करना चाहिए।
- भरणी नक्षत्र का लड़का और अनुराधा नक्षत्र की लड़की
- पूर्वा-फाल्गुनी नक्षत्र का लड़का और उतरा-फाल्गुनी नक्षत्र की लड़की
- पुष्य नक्षत्र का लड़का और पूर्वाषाढा नक्षत्र की लड़की
- मृगशिरा नक्षत्र का लड़का और चित्रा नक्षत्र की लड़की
- चित्रा नक्षत्र का लड़का और धनिष्ठा नक्षत्र की लड़की
- मृगशिरा नक्षत्र का लड़का और धनिष्ठा नक्षत्र की लड़की
3 अन्त्य नाड़ी – अन्त्य नाड़ी में यही स्थिति निम्नलिखित नक्षत्रों के मेल से बनती है। इनमे विवाह नहीं करना चाहिए।
- कृतिका नक्षत्र का लड़का और विशाखा नक्षत्र की लड़की
- रोहिणी नक्षत्र का लड़का और स्वाति नक्षत्र की लड़की
- मघा नक्षत्र का लड़का और रेवती नक्षत्र की लड़की
विवाह के समय इन प्रबल नाड़ी दोष को देखकर ही कोई निर्णय लें।
नाड़ी दोष के उपाय
नाड़ी दोष होने पर यदि दाम्पत्य जीवन में बहुत कठिनाई हो रही हो तो निम्न उपाय करके जीवन को सुखी बना सकते हैं:-
नाड़ी दोष के उपाय
- मध्य नाड़ी मे पैदा हुए पति-पत्नी में पति के जीवन को खतरा होता है। इसका उपाय यह है कि पुरुष महामृत्यंजय मंत्र का जाप करे।
- पति और पत्नी दोनो की नाड़ी यदि आदि या अन्त्य हो तब जीवन का खतरा पत्नी को होता है। इसका उपाय भी यही है कि पत्नी महामृत्यंजय मंत्र का जाप करे।
- नाड़ी दोष का पता चलने पर ब्राह्मण को गाय का या फिर सोने का दान करना चाहिए।
- अपने जन्मदिन पर अपने वजन के बराबर गेहूँ का दान करें
- अपने जन्मदिन वाले दिन ब्राह्मण को भोजन करवाएँ और वस्त्र दान करें।
- जरूरतमंदों को भोजन दान करें