ग्रहों का फल देने का समय

Published by Ashok Prajapati on

अब तक जो मैंने सीखा पढ़ा या अनुभव किया वह सब मैं ज्यों का त्यों व्यक्त कर देता हूँ | इस तरह से मैं अपने नियम याद रख पाता हूँ और फिर ज्योतिष के प्रति भी हमारा कुछ फर्ज बनता है | आज इस लेख के माध्यम से मैं अपने पाठकों की ज्योतिष के प्रति रूचि बढाने का प्रयास करूंगा | यदि मेरा लिखा कुछ आपकी समझ में आये या अच्छा / बुरा जो भी भाव हो मुझसे अवश्य कहियेगा |
साढ़े साती से लोगों को डराकर मनचाहे उपाय द्वारा लोगों से धन वसूला जाता है | कालसर्प योग का डर दिखाकर लोगों के दिलों में दहशत पैदा की जाती है ताकि व्यक्ति जीवन भर उपाय करता रहे | साढ़े साती में व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा होती है | किसी विद्यार्थी की तरह व्यक्ति को साढ़ेसाती के अंत में उसकी मेहनत का फल मिलता है | काल सर्प योग में व्यक्ति अपने पूर्वजों के ऋणों का भुगतान करता है | यदि कोई व्यक्ति अपने इन कर्तव्यों से मुंह मोड़ता है है तो उसे पूर्वजों का कोप सहना पड़ता है |

ग्रहों का फल देने का समय

ग्रह अपनी दशा अन्तर्दशा में तो अपना फल देते ही हैं बल्कि कुछ और भी जीवन में ऐसे मौके आते हैं जब ग्रह अपना पूरा प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर डालते हैं | जितना कुछ मेरे मस्तिष्क में है वह सब तो मैं व्यक्त नहीं कर सकता परन्तु आवश्यक नियम इस प्रकार हैं |जब आप बीमार होते हैं उस समय सूर्य का प्रभाव आपपर होता है | सूर्य यदि अच्छा हो तो बीमारी की अवस्था में भी आपका मनोबल बना रहता है इसके विपरीत यदि सूर्य अच्छा न हो तो जरा सा स्वास्थ्य खराब होने के बाद आपको जीवन से निराशा होने लगती है | इस समय सूर्य का पूर्ण प्रभाव आप पर होता है |

घर में किसी बच्चे के जन्म के समय हम चंद्रमा के प्रभाव में होते हैं | जीवन में संवेदनशील लम्हों में चन्द्र का प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है | इसके अतिरिक्त जब हम अपने हुनर या कला का प्रदर्शन करते हैं तब चन्द्र हमारे साथ होते हैं |

चोट लगने पर, सर्जरी या आपरेशन के समय, संघर्ष करते समय और मेहनत करते वक्त मंगल हमारे साथ होता है | उस वक्त किसी अन्य ग्रह की अपेक्षा मंगल का असर सर्वाधिक आप पर रहता है | हाथ की मंगल रेखा या मंगल के फल देने का काल यही होता है |

जब बोलकर किसी को प्रभावित करने का समय आता है तब बुध का समय होता है | जब आप चालाकी से अपना काम निकालते हैं तो बुध का बलाबल आपकी सहायता करता है |

जब हम शिक्षा ग्रहण करते है या फिर जब हम शिक्षा देते हैं उस समय गुरु का प्रभाव हमारे जीवन पर होता है | किसी को आशीर्वाद देते समय या किसी को बददुआ देने के समय बृहस्पति ग्रह की कृपा हम पर होती है | इसके अतिरिक्त पुत्र के जन्म के समय या पुत्र के वियोग के समय भी बृहस्पति का पूरा प्रभाव हमारे जीवन पर होता है |

मनोरंजन के समय शुक्र का प्रभाव होता है | विवाह, वर्षगांठ, मांगलिक उत्सव और सम्भोग के समय शुक्र के फल को हम भोग रहे होते हैं | आनन्द का समय हो या नृत्य का, हर समय शुक्र हमारे साथ होते हैं | यही एकमात्र ऐसा ग्रह है जिसके निर्बल होने पर जीवन एक बोझ के समान लगता है | जीवन से आनन्द ख़त्म हो जाए या जीना मात्र एक मजबूरी बन कर रह जाए तो समझ ले कि शुक्र का बुरा प्रभाव आप पर है |
शनि का अर्थ ही दुःख है | जिस समय हम दुःख की अवस्था में होते हैं तब शनि का समय समझे | इस काल को छोड़कर सभी काल क्षण भंगुर होते हैं | शनि के काल की अवधि लम्बी होती है | दुःख या शोक के समय, सेवा करते वक्त, कारावास में या जेल में और बुढापे में शनि का प्रभाव सर्वाधिक होता है |

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2 Comments

MANOJ SONI · June 25, 2015 at 10:43 am

NICE SIR… ACHA LIKHA H APNE WO BHI CHOTE SE LEKH MAI…

    creativehelper · June 26, 2015 at 10:13 am

    Thank you so much.

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