कुंडली मिलान से परहेज क्यों
आजकल आधुनिकता से निराश होकर लोग फिर से प्राचीनता की ओर देखने लगे है। आयुर्वेद, योग, ज्योतिष का बहुत अधिक प्रचार-प्रसार हो रहा है। विवाह के लिए कुंडली मिलान की आवश्यकता पर बल दिया जाने लगा है। लेकिन मैंने यह भी देखा है कि आधुनिक तकनीक पर लोग बुरी तरह से निर्भर है, चाहे वे विवाह के लिए कुंडली मिलाना चाहते है परन्तु वर या वधु की तलाश कंप्युटर पर मैरिज ब्युरो के माध्यम से ही करते है। ये कार्य वे शादी डॉट कॉम, मैटरीमोनियल डॉट कॉम से ही करते है।
विवाह और रिश्तों की तकनीक पर निर्भरता
जब मैंने मैरिज ब्यूरो के बारे में रिसर्च करनी शुरू की तो मुझे मालूम पडा कि वहां कुछ अलग ही माहौल है। निजी तौर पर मैं मैरिज ब्यूरो के बिल्कुल भी विरूद्ध नहीं हूँ, वे अच्छा कार्य ही करते है। उनका उद्देश्य विवाह करवाना ही है परन्तु जब कुंडली मिलाने की बात आती है तो मैरिज ब्यूरो वालों की प्राथमिकता यह रहती है कि रिश्ता पक्का हो जाए और उनका कमीशन उन्हें मिले। उन्हें इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि कुंडली के कितने गुण मिल रहे है, विवाह के बाद उनमें अनबन तो नहीं होगी इत्यादि।
क्यों कुंडली मिलान पर लोगों को विश्वास नहीं
इस संबंध में मेरी खोजबीन मुझे अलग-अलग लोगों तक ले गई। कानपुर के मेरे दोस्त हरिप्रसाद जी का कहना था कि मेरे माता-पिता ने कुंडली बनवाई तक नहीं थी मेरी खुद की शादी बिना कुंडली मिलाए हो गई और सब कुछ ठीक चल रहा है फिर मैं अपने बेटे की कुंडली क्यों मिलाऊं।
जालंधर के मेरे दोस्त रणजीत सिंह जी कहते हैं की हम सिक्खों में जन्म कुंडली मिलाने का रिवाज नहीं है। विवाह गुरूद्वारे में आनंद-कारज रीति से संपन्न होता हैं और बिना कोई महूर्त देखे सुविधानुसार वह भी रविवार के दिन। करनाल के मेरे मित्र भसीन जी कहते हैं कि जहां संजोग लिखे हैं वहीं शादी होनी है तो फिर कुंडली मिलान कैसा? हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के भाटिया जी कहते हैं कि मैं कुंडली मिलाते-मिलाते थक गया, बेटी की जन्म कुंडली जब कहीं नहीं मिली, बेटी का रिश्ता कहीं नहीं हुआ तो अब हम यह कहकर रिश्ता ढूंढ रहे है कि हम कुंडली में विश्वास नहीं रखते। अंबाला के मेरे मित्र संजीव जी कहते हैं कि अब 35 वर्ष की उम्र में हमारे पास विकल्प बहुत कम है, जैसी भी लड़की मिलेगी, यदि उनका घर-बार अच्छा लगा तो शादी करने में देरी नहीं करूंगा। परंतु कुंडली मिलान के चक्कर में नहीं पड़ूंगा।
तो ऐसे विचार हैं कुछ लोगों के जिन्हें मैंने अपने पाठकों के समक्ष इसलिए रखा है कि उनकी प्राथमिकता केवल विवाह करने की है। उनकी दूरगामी सोच नहीं है, वे इस बारे में सोच नहीं रहे है कि आने वाले समय में पति-पत्नी का संबंध यदि ठीक नहीं रहा तो जीवन काटना मुश्किल हो जाएगा।
कौन से लोग कुंडली मिलान करते हैं
दुनिया में अधिकतर लोग जन्मकुंडली मिलाए बिना ही शादी करते हैं परंतु जिन्हें भविष्य सुखमय करना है, जिन्हें यह जानना है कि उनका भावी जीवन साथी उनके प्रति वफादार रहेगा, वे अवश्य कुंडली मिलाएंगे।
जो लोग एक ठोकर खा चुके हैं, उनसे पूछा जाए तो वह कहेंगे कि गलत जीवनसाथी के बजाए कुंवारा रहना ही अच्छा है। इसलिए उनके लिए कम से कम कुंडली मिलान तो आवश्यक है।
जिन बच्चों ने अपने माता-पिता को पूरी उम्र लड़ते-झगड़ते देखा है, वे कभी नहीं चाहेंगे कि उनके जीवन में भी ऐसा ही हो, इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए कुंडली मिलान करते हैं।
जिन लोगों ने तलाक के मामले अपने परिवार या नजदीकी रिश्तेदारों के जीवन में देखे हैं, वे कभी भी उस अप्रिय स्थिति में से गुजरना नहीं चाहेंगे। ज्योतिष के जानकार और उस पर भरोसा करने वाले व्यक्ति अवश्य ही कुंडली मिलान करके शादी करेंगे।
परंतु विडंबना यह है कि कई लोगों को विवाह की जल्दी होती है, उन्हें यदि कोई ऐसा प्रस्ताव मिलता है जो पूरी तरह से योग्य है तो केवल कुंडली के कारण मना कर देना मुर्खता लगता है और वे सोचते है कि जो होगा वे भुगत लेंगे। कुंडली के कारण वे ज्योतिषी की विश्वसनीयता पर ही सवाल खड़े कर देते है।
कुंडली मिलान के दोष निवारण
हमारे पास जो लोग कुंडली मिलान के लिए आते हैं हम इस उम्मीद के साथ कुंडली देखते हैं कि कोई तो ऐसा ग्रह होगा जो इन दोनों को यहां तक खींच लाया। हम देखते हैं कि वर की कुंडली में जो कमी है वधू की कुंडली उसे पूरा कर रही है या नहीं। मान लीजिए एक व्यक्ति की कुंडली में तलाक लिखा है तो दूसरे की कुंडली में मैं यही देखने की कोशिश करूंगा कि उस तलाक के योग का नाश करने के लिए कौन से ग्रह मदद कर रहे हैं आखिर ताली एक हाथ से नहीं बजती। यदि दूसरे की कुंडली में विवाह का पुर्ण सुख लिखा है तो तलाक योग का स्वत: शमन हो जाएगा।
यही कारण है अधिकतर लोग जो हम से कुंडली मिलान करवाते हैं, उन्हें हम हां बोल देते हैं। परंतु जिन्हें हम हां नहीं बोलते, उन्हें भी उपाय बताते हैं, जैसे लडका-लडकी दोनों की कुंडली में तलाक का योग है तो शादी के लिए मना कर दिया जाता है। फिर भी यदि वे विवाह बंधन में बंधना चाहते है तो हम सलाह देते हैं कि आप दोनों शादी के 6 महीने के पश्चात और शादी के 9 महीने से पहले एक बार फिर से शास्त्र रीति से पुन: विवाह करेंगे तो आपके भाग्य में लिखे गए दो विवाह का योग पूरा हो जाएगा।
निष्कर्ष यही है कि वर की कुंडली में जो कमी है उसे पूरा करने के लिए वधू की कुंडली में पर्याप्त ग्रह होने चाहिए और यह देखना अनुभवी ज्योतिषी का काम है